सिनेमाघर में रिलीज के कितने हफ्ते बाद OTT पर आएं फिल्में? कमाई बढ़ाने के लिए एक्‍सपर्ट्स ने बताए उपाय

सामान्य तौर पर सिनेमाघर वालों ने फिल्मों को सिनेमा पर रिलीज करने के लिए उसकी रिलीज के कम से कम आठ हफ्ते ओटीटी पर रिलीज करने का नियम बनाया हुआ है। इस नियम को नहीं मानने वाली फिल्म को नैशनल सिनेमा चेन पर हिंदी भाषा में रिलीज नहीं किया जाता। अमूमन सभी बॉलीवुड फिल्में इस नियम का पालन करती हैं। लेकिन अभी तक साउथ सिनेमा और खासतौर पर तमिल सिनेमा की तमाम फिल्में महज चार हफ्ते में ही ओटीटी पर रिलीज का रास्ता चुन रही थीं। इसके चलते उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म से तो कुछ अतिरिक्त रकम मिल रही थी, लेकिन वे फिल्में हिंदी पट्टी में सिनेमाघरों पर रिलीज नहीं हो पाती। हाल ही में कमल हासन ने अपनी फिल्म को आठ हफ्ते बाद ओटीटी पर रिलीज करने का फैसला किया है। फिल्मी दुनिया के जानकार कहते हैं कि दरअसल, साउथ सिनेमा में फैंस पहले हफ्ते में सबसे ज्यादा अपने चहेते सितारों की फिल्में देखने जाते हैं। इसलिए वे चार हफ्ते की ओटीटी विंडो का विकल्प चुनते हैं। जबकि हिंदी पट्टी में फिल्में सिनेमाघरों में लंबे समय तक चलती हैं। इसलिए यहां पर सिनेमावाले आठ या उससे ज्यादा हफ्ते की ओटीटी विंडो की मांग करते हैं।

‘सिनेमाघरों पर अच्छी कमाई करना जरूरी’

प्रोड्यूसर व फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर ओटीटी विंडो (सिनेमा रिलीज के कितने हफ्ते बाद फिल्म को ओटीटी पर रिलीज किया जाए) को बढ़ाए जाने की वकालत करते हैं। वह कहते हैं, ‘सबसे पहले तो यह बात एकदम तय है कि किसी भी फिल्म के ओवर ऑल अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उसका सिनेमाघरों पर अच्छी कमाई करना जरूरी है। फिल्म सिनेमा में अच्छा करेगी, तो उसे ओटीटी से लेकर सैटेलाइट तक सभी जगह अच्छी डील मिलेगी। अभी जरूर भूल चूक माफ एक अपवाद के तौर पर 2 हफ्ते में ओटीटी पर आ गई, लेकिन दूसरी ओर कमल हासन ने ‘ठग लाइफ’ के लिए आठ हफ्ते का ओटीटी विंडो लिया है। वहीं आमिर खान जैसे सितारे तो छह महीने के ओटीटी विंडो की वकालत करते हैं। आमिर खान ने तो इससे भी आगे यूट्यूब पर पे पर व्यू मॉडल की मांग की है। यानी कि फिल्म देखने के लिए आपको वहां पर भी पैसा देना होगा। मेरा मानना है कि अगर दर्शकों को पता होगा कि यह फिल्म अभी तक दो तीन महीने तक ओटीटी पर नहीं आएगी, तो वे उसे देखने सिनेमाघर जरूर जाएंगे। कई बार ऐसा भी होता है कि भले ही फिल्म दमदार हो, लेकिन अगर दर्शकों को पता है कि वह कुछ दिनों में ओटीटी पर आ जाएगी, तो वह उसे देखने का प्लान टाल देते हैं।’

ओटीटी विंडो को बढ़ाने पर हो विचार’

सिनेमाघर वालों का कहना है कि अगर सिनेमा चलेगा, तो फिल्मी दुनिया में सब कुछ चलेगा। डिलाइट सिनेमा के सीईओ राजकुमार मेहरोत्रा ने बताया, ‘अब सबको यह बात समझ में आ गई है कि जो कमाई सिनेमाघरों में फिल्म करके की जा सकती है। वह ओटीटी पर फिल्म रिलीज करके कभी नहीं की जा सकती। यही वजह है कि अब साउथ के निर्माता भी अपनी फिल्मों की ओटीटी विंडो आठ हफ्ते करके उन्हें देशभर में हिंदी में रिलीज कर रहे हैं। वरना अभी तक साउथ ही कम ही फिल्में इस शर्त को नहीं मानने के चलते देशभर में रिलीज हो पाती थीं। मैं तो कहता हूं कि ओटीटी विंडो को कम करने की बजाय हमें इसे बढ़ाने पर विचार करना चाहिए, ताकि और बड़ी संख्या में दर्शक सिनेमाघरों का रुख करें। बेशक अगर फिल्म सिनेमाघर में अच्छा करेगी, तो वह ओटीटी पर तो खुद ब खुद अच्छा प्रदर्शन करेगी।’

फॉलो हो रहा था ये फॉर्मूला

वहीं वेव सिनेमा के वाइस प्रेसिडेंट योगेश रायजादा का कहना है, ‘ओटीटी विंडो को लेकर सिनेमावालों और फिल्म निर्माताओं के बीच कोविड के बाद तमाम तरह की उठापटक चल रही है। हालांकि अब मेरा मानना है कि इसे लेकर आठ हफ्ते ओटीटी विंडो पर सबकी सहमति बन रही है। अब साउथ वाले भी इसे फॉलो कर रहे हैं, जो कि अपने आप में एक बड़ा कदम है। वरना अभी तक वे अपनी फिल्मों को चार हफ्ते में ओटीटी पर ला रहे थे। हालांकि ‘भूल चूक माफ’ जरूर ऑपरेशन सिंदूर के चलते दो हफ्ते में ओटीटी पर आ गई, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आगे किसी दूसरे निर्माता को ऐसी कोई छूट मिलेगी। फिलहाल इस बाद को लेकर सब एकमत हैं कि जितनी ओटीटी विंडो ज्यादा उतना ही फिल्म को देखने ज्यादा दर्शक आएंगे।’

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